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चाणक्य की ये नीतियां ध्यान रखेंगे तो नहीं होगा एक रुपए का भी नुकसान of 4


चाणक्य की ये नीतियां ध्यान रखेंगे तो नहीं होगा एक रुपए का भी नुकसान
उज्जैन
 इतिहास में आचार्य चाणक्य का महत्वपूर्ण स्थान है। एक समय जब भारत छोटे-छोटे राज्यों में विभाजित था और विदेशी शासक सिकंदर भारत पर आक्रमण करने के लिए भारतीय सीमा तक आ पहुंचा था, तब चाणक्य ने अपनी नीतियों से भारत की रक्षा की थी। चाणक्य ने अपने प्रयासों और अपनी नीतियों के बल पर एक सामान्य बालक चंद्रगुप्त भारत का सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य बना और अखंड भारत का निर्माण किया।

चाणक्य के काल में पाटलीपुत्र (वर्तमान में पटना) बहुत शक्तिशाली राज्य मगध की राजधानी था। उस समय नंदवंश का साम्राज्य था और राजा था धनानंद। कुछ लोग इस राजा का नाम महानंद भी बताते हैं। एक बार महानंद ने भरी सभा में चाणक्य का अपमान किया था और इसी अपमान का प्रतिशोध लेने के लिए आचार्य ने चंद्रगुप्त को युद्धकला में पारंपत किया। चंद्रगुप्त की मदद से चाणक्य ने मगध पर आक्रमण किया और महानंद को पराजित किया।

आचार्य चाणक्य की नीतियां आज भी हमारे लिए बहुत उपयोगी हैं। जो भी व्यक्ति नीतियों का पालन करता है, उसे जीवन में सभी सुख-सुविधाएं और कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।2 of 4


चाणक्य की ये नीतियां ध्यान रखेंगे तो नहीं होगा एक रुपए का भी नुकसान
हमें कैसे स्थान पर रहना चाहिए
हमें कैसे स्थान पर अपना निवास या घर बनाना चाहिए, इस संबंध में आचार्य चाणक्य ने 5 बातें बताई हैं। जिस स्थान पर ये बातें उपलब्ध हों, वहां रहना सर्वश्रेष्ठ है और ऐसे स्थान पर रहने वाला व्यक्ति हमेशा प्रसन्न रहता है, हमेशा फायदे में रहता है...
आचार्य चाणक्य कहते हैं-
धनिक: श्रोत्रियो राजा नदी वैद्यस्तु पंचम:।
पंच यत्र न विद्यन्ते तत्र दिवसं वसेत्।।
इसका श्लोक में आचार्य चाणक्य ने निवास स्थान के लिए पांच बात बताई हैं, वे इस प्रकार हैं...

पहली बात- जिस स्थान पर कोई धनी व्यक्ति होता है, वहां व्यवसाय में बढ़ोतरी होती है। धनी व्यक्ति के आसपास रहने वाले लोगों के लिए अच्छा रोजगार प्राप्त होने की संभावनाएं अधिक रहती हैं।

दूसरी बात- जिस स्थान पर कोई ज्ञानी हो, वेद जानने वाला व्यक्ति हो, वहां रहने से धर्म लाभ प्राप्त होता है। हमारा ध्यान पापकर्म की ओर बढऩे से बचता है।

तीसरी बात- जहां राजा या शासकीय व्यवस्था से संबंधित व्यक्ति रहता है, वहां रहने से हमें शासन की सभी योजनाओं का लाभ प्राप्त होता है।

चौथी बात- जिस स्थान पर पवित्र नदी बहती हो, जहां पानी प्रचुर मात्रा में हो, वहां रहने से हमें प्रकृति के समस्त लाभ प्राप्त होते हैं।

पांचवी बात है वैद्य का होना। जिस स्थान पर वैद्य हो वहां रहने से हमें बीमारियों से तुरंत मुक्ति मिल जाती है। अत: आचार्य चाणक्य द्वारा बताई गई ये पांच जहां हो वहां रहना ही लाभकारी रहता है।3 of 4


चाणक्य की ये नीतियां ध्यान रखेंगे तो नहीं बनेंगी विपरीत परिस्थितियां
कब होती है सच्चे हितेषी की पहचान

अपने-पराए लोगों की परख करने के लिए आचार्य चाणक्य ने कहते हैं-

आतुरे व्यसने प्राप्ते दुर्भिक्षेत्र शत्रुसंकटे।
राजद्वारे श्मशाने च यस्तिष्ठति स बांधव:।।


आचार्य ने इस श्लोक में व्यक्ति की परख के लिए अलग-अलग स्थितियां बताई हैं, ये स्थितियां इस प्रकार हैं...

- जब कोई व्यक्ति किसी भयंकर बीमारी से पीडि़त हो और उस समय जो लोग साथ देते हैं, वे ही सच्चे हितैषी होते हैं।

- जब किसी व्यक्ति के जीवन में कोई भयंकर दुख आ जाए या किसी मुकादमे, कोर्ट केस में फंस जाए, उस समय जो इंसान गवाह के रूप में साथ देता है वही मित्र कहलाने का अधिकारी होता है।

किसी व्यक्ति की मृत्यु के समय पर जो लोग उपस्थित होते हैं वे सच्चे हितेषी होते हैं।4 of 4



चाणक्य की ये नीतियां ध्यान रखेंगे तो नहीं होगा एक रुपए का भी नुकसान
जो पास है, उसे छोड़कर दूसरी चीज की ओर भागना मूर्खता है

सामान्यत: ऐसा देखा जाता है काफी लोग अपने पास की वस्तु को छोड़कर दूसरी वस्तु को पाने के लिए भागते हैं, ऐसी परिस्थिति में कई बार दोनों वस्तुएं हाथ से निकल जाती हैं। ऐसी परिस्थितियों के संबंध में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि-

यो ध्रुवाणि परित्यज्य अध्रुवं परिषेवते।
ध्रुवाणि तस्य नश्यन्ति अध्रुवं नष्टमेव हि।।


इस श्लोक का अर्थ है कि जो व्यक्ति निश्चित वस्तुओं को छोड़कर अनिश्चित वस्तुओं की ओर भागता है उसके हाथों से दोनों ही वस्तुएं निकल जाती है। आचार्य चाणक्य के अनुसार लालची व्यक्ति के साथ अक्सर ऐसा ही होता है और अंत में वह खाली हाथ ही रह जाता है। अत: जीवन में निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए इस प्रकार की गलतियां हमें नहीं करना चाहिए। समझदारी इसी में है कि जो वस्तुएं हमारे पास हैं उन्हीं से संतोष प्राप्त करें।

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