यूपी की 'दबंग दीदी'
'पहले विधायक ने रेप किया। उसके नौकरों ने चोरी का आरोप लगाया। मेरे साथ मारपीट की गई और जेल भिजवा दिया गया।' यह कहानी है उस लड़की की, जो यह सब झेलने के बाद अब मौत और हत्या की बातें करती है। बांदा से 85 किमी दूर शाहबाजपुर के गांव की इस लड़की को बच्चे 'दबंग दीदी' बुलाते हैं। वह कहती है, 'अब हम मरने से नहीं डरते। ठान लिए हैं कि पोस्टमॉर्टम के लिए हमारी बॉडी अकेली नहीं जाएगी। कम से कम 2-3 को साथ लेकर जाएंगे मुर्दाघर।' शर्ट, जींस, टीका, सफेद गमछा और स्मार्टफोन, कुछ ऐसे ही रहती है यह लड़की।
इस लड़की की कहानी शुरू हुई थी दिसंबर, 2010 से जब वह 18 साल की थी। उसके पिता ने उसे बांदा में बीएसपी विधायक पुरुषोत्तम नरेश द्विवेदी के घर काम करने के लिए भेजा था, लेकिन विधायक ने उसके साथ रेप किया। 11, 12 और 13 दिसंबर, 2010 को विधायक ने उसके साथ रेप किया, जिसके बाद वह अपने घर भाग आई। विधायक के नौकरों ने उस पर चोरी का आरोप लगाया और उसे जेल भेज दिया गया, लेकिन वहीं से उसने अपनी तकदीर बदलने का फैसला कर लिया।
आलम यह था कि जब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उसे जेल से रिहा करने का आदेश दिया, तो भी वह जेल से निकलने को राजी नहीं थी। उसे जबर्दस्ती बाहर किया गया। अब घर से निकलने से पहले वह अपनी लाइसेंसी रिवॉल्वर लेना नहीं भूलती। उसके साथ सुरक्षा के लिए सात गार्ड रहते हैं। कुछ लोग उससे डरते हैं, कुछ नजरअंदाज करते हैं, लेकिन उसके लिए सहानुभूति अब किसी के दिल में नहीं है।
खुद पर लगे 'दुर्व्यवहार' के आरोपों के बारे में वह कहती है, 'अगर हम ऐसे नहीं बनते तो काट मार दिए जाते।' पिछले महीने कोर्ट ने विधायक द्विवेदी को 10 साल की सजा और 50 हजार जुर्माने की सजा सुनाई। अब 'दबंग दीदी' पंचायत चुनाव लड़ने की सोच रही है। इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए वह बताती है कि उसकी रीता बहुगुणा से बात हो चुकी है और कांग्रेस जॉइन करेगी। इस फैसले के बारे में सवाल पर वह कहती है, 'जब मैं मुसीबत में थी तो सबने मदद की, सिवाय बीएसपी की। उसमें जाने का सवाल ही नहीं उठता।'
अंग्रेजी दैनिक इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए वह कहती है, 'मैं धार्मिक इंसान हूं और सप्ताह में दो दिन व्रत रखती हूं। तब मैं सिर्फ पानी पीती हूं।' हालांकि, उसे एक लाख के रिवॉल्वर खरीदने से गुरेज नहीं है। जेल से लौटने के बाद कुछ ग्रामीण उससे संवेदना जताते हैं, लेकिन अधिकतर उसे गलत ही समझते हैं। अब लोग उससे बात करने से भी गुरेज करते हैं। गांव के प्रधान राज कुमार यादव कहते हैं, 'हमारी संवेदनाएं उसके साथ हैं, लेकिन वह खुद ही परेशानी बन चुकी है।'
प्रधान यादव ने अखबार से बात करते हुए कहा, 'उसे लगता है कि वह लोगों की समस्याएं सुलझा सकती है, लेकिन लोग उसे अपने दरवाजे सिर्फ इसलिए बुलाते हैं, ताकि पुलिस वाले उनके घर के बाहर खड़े दिखें। यहां छोटे इलाकों में यह बहुत बड़ी बात है।'
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